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कर्म पथ से आज मानव क्यों भटकने लगा है

कर्म पथ से आज मानव क्यों भटकने लगा है

दिल से निकली बातें बयां करें हालातें
सोंच समझकर बनाई गई थी सारी परंपराएं
यह कि हमें अपनों पर सदा आस्था रखना है
पर आज हम अपनों से ही नाता तोड़ रहें हैं
कर्म पथ से आज मानव क्यों भटकने लगा है।
सोंच कर तू बोल बोली,जो मीठी और प्यारी हो
और जितना हो सकें आप उतना ही कीजिए
पर तुम्हारा उद्देश्य सब जीवों का कल्याण हो
इसे समझाते समझाते हमारा पूर्वज मिट गए
कर्म पथ से आज मानव क्यों भटकने लगा है।
ईर्ष्या और द्वेष से दूर हो अपना जीवन
और सबके हृदय में हो प्रभु जी की भक्ति
पर आज मानव चाह कर भी कुछ न समझा
और समझ में आई तो बस दुनियादारी
कर्म पथ से आज मानव क्यों भटकने लगा है।
अपनाना है हमें माता पिता और गुरु के सीख को
और निष्काम पथ पर चलना सीख जाओ
पर आज मानव को यह समझ में नहीं आ रहा है
और कितने मतलबी हो गए है आज हम 
कर्म पथ से आज मानव क्यों भटकने लगा है।

नूतन लाल साहू नवीन

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2 Comments

बहुत ही सुंदर और बेहतरीन रचना

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Anam

04-Aug-2023 06:29 AM

सुन्दर सृजन

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